पिथौरागढ़-12 साल की उम्र में हो गई थी विधवा, अब 83 की उम्र में मिली पेंशन तो छलक उठे वृद्धा के आंसू

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पिथौरागढ़-तब बाल विवाह का प्रचलन था तो उस दौर में पिथौरागढ़ जिले की एक वृद्धा का विवाह 12 वर्ष की उम्र में हुआ। लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। विवाह के दो माह बाद पति का निधन हो गया। लंबी लड़ाई के बाद अब 83 वर्ष की वृद्धा को पेंशन मिली तो वह खुशी के मारे गदगद हो गई। करीब आठ वर्ष की मेहनत केबाद प्रधान नियंत्रक रक्षा लेखा विभाग ने वृद्धा की पेंशन स्वीकृति का पीपीओ जारी कर दिया है।

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जानकारी के अनुसार पिथौरागढ़ के लिन्ठयुड गांव की परूली देवी की शादी वर्ष 1940 में देवलथल लोहकोट गांव निवासी सिपाही गगन सिंह के साथ हुआ तब परूली देवी की उम्र 12 वर्ष थी। शादी के दो माह बाद गगन सिंह की अपनी राइफल से गोली लगने से मृत्यु हो गई। ऐसे में बाल विधवा परूली देवी अपने मायके लिन्ठयुड़ा लौट आई। पति के निधन के बाद भी उन्हें पेंशन नहीं मिल पाई। लेकिन इसी बीच वर्ष 1985 में भारत सरकार के एक आदेश से वे पारिवारिक पेंशन योजना के लिए अर्ह हो गई, लेकिन इसकी जानकारी उन्हें नहीं लगी।

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ऐसे मेें सेवानिवृत्त उपकोषाधिकारी डीएस भंडारी को मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने परिवार से संपर्क किया। उन्हें बताया कि परूली देवी पेंशन की हकदार हैं। उन्हें पारिवारिक पेंशन मिलेगी। परूली देवी के परिजनों ने डीएस भंडारी से मदद मांगी। इसके लिए उन्होंने सेना के रिकार्ड विभाग से लेकर पेंशन महकमे तक पत्राचार किए। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और प्रधान नियंत्रक रक्षा लेखा पेंशन प्रयागराज ने परूली देवी की पेंशन स्वीकृत कर दी। विभाग की ओर से जारी पीपीओ बैंक और वृद्धा को पहुंच गया है। पेंशन स्वीकृति से वृद्धा गदगद हैं। वृद्धा को 20 लाख की रकम पेंशन अवशेष के रूप में मिलेगी।

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।